ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान आरज़ू क्या है, जुस्तजू क्या है हम भटकते हैं, क्यों भटकते हैं, दश्त-ओ-सेहरा में ऐसा लगता है, मौज प्यासी है अपने दरिया में कैसी उलझन है, क्यों ये उलझन है एक साया सा रूबरू क्या है क्या कयामत है, क्या मुसीबत है कह नहीं सकते, किस का अरमां है ज़िन्दगी जैसे खोई खोई है, हैरां हैरां है ये ज़मीं चूप है, आसमां चूप है फिर ये धड़कन सी चार सू क्या है ऐ दिल-ए-नादान, ऐसी राहों में कितने काँटे हैं आरजूओं ने हर किसी दिल को दर्द बाँटे हैं कितने घायल हैं, कितने बिस्मिल हैं इस खुदाई में एक तू क्या है https://youtu.be/rJRIAKQhaYA
Comments
Post a Comment